| Movie Name | Metro In Dino |
| Release Date | 4 July 2025 |
| Cast | Anupam Kher · Parimal ; Neena Gupta · Shivani ; Saswata Chatterjee · Sanjeev ; Aditya Roy Kapoor · Parth ; Sara Ali Khan |
| Producer | Anurag Basu |
| Cast | 2/5 |
चांटा खाया है कभी थप्पड़ जोरदार ऐसा जिसको खाते ही भुला हुआ सब याद आ जाए। इस फ्राइडे ऐसा ही चांटा पड़ा है बॉलीवुड को जो ओरिजिनल शब्द का मतलब भूल गया है। और ये थप्पड़ मारने वाला इंसान वो है जिसकी फिल्मों से ज्यादा पॉपुलर उसकी फिल्मों के म्यूजिक एल्बम होते हैं। अरे हां म्यूजिक ये शब्द तो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की डिक्शनरी से डिलीट ही हो चुका है। जो बनता है वो रीमेक या फिर गाने लायक ही नहीं होता। इन सारे प्रॉब्लम्स का एक सॉल्यूशन है मेट्रो इन दिनों 2007 वाली फिल्म का पार्ट टू जो 18 साल बाद वापस आया है सेम डायरेक्टर के साथ और नए एक्टर्स को साथ लेकर।
सच बोलूं कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जिनको ऑडियंस की जरूरत नहीं बल्कि ऑडियंस को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है और यहीं पर एंट्री होती है अनुराग बासू और उनके म्यूजिकल सिनेमा की। यह फिल्म कैसी है? इसका जवाब अलग लोगों के पास अलग-अलग हो सकता है। बट इस फिल्म का म्यूजिक अगर थिएटर में सुन लोगे ना आप तो शर्त लगा सकती हूं। अपना थोड़ा सा खुद का हिस्सा भी वहीं छोड़ के आ जाओगे। तो यह फिल्म है किस बारे में वो बताने से पहले यह क्लियर कर देती हूं कि इस नई फिल्म का पुरानी वाली से कोई कनेक्शन नहीं है।
वो नहीं देखी तब भी यह वाली देख सकते हो आप। नाम में ही मेट्रो है तो बस मेट्रो सिटीज में रहने वाले कुछ शहरी लोगों की कहानियां हैं ये। सब की कहानियां अलग-अलग है बट ट्विस्ट यही है कि यह सब आपस में किसी तरह जुड़े हुए हैं। एक बीवी को अपने पति पर शक है कि वो ऑनलाइन अपने लिए दूसरी बीवी ढूंढ रहा है तो वो भी इस डेटिंग के समुंदर में छलांग मार देती है और एक मगरमच्छ से टकरा जाती है। दूसरी तरफ एक लड़की का बॉस उसको ऑफिस में टच करता है बिना परमिशन के और वो लड़का जिसको वचन देना है उसकी सात जन्म रक्षा करने का वो भी उसी ऑफिस में काम करता है चुपचाप।
तीसरा एक यूट्यूबर है ऐसे चौकोमत यूट्यूबर्स भी काफी पॉपुलर हो गए हैं आजकल। इनके लिए प्यार और बुखार में कोई अंतर नहीं है। साल में चार-प बार होता है और बिस्तर पर जाकर खत्म हो जाता है। चौथी कहानी सीनियर सिटीजंस की है जिनका दिल आज भी बच्चा है। जी कॉलेज का प्यार 40 सालों बाद आंटी की लाइफ में वापस आया है। लेकिन सवाल यह है पास्ट और प्रेजेंट में हीरो कौन? विलेन कौन? पांचवी स्टोरी हाई स्कूल स्वीट हार्ट्स की है। वो बोलते हैं ना दो जिसमें एक जान। लेकिन इन दोनों के बीच एक तीसरा आ गया है जिसको आम भाषा में गुड न्यूज़ बोलते हैं।

लेकिन इनकी लाइफ का बैंड बजने वाला है। लेकिन छठी कहानी दिखाई नहीं जाएगी बट वो आपके अंदर जरूर चल रही होगी। आपकी खुद की जिंदगी वो भी इसी फिल्म के साथ जोड़कर जरूर देखोगे आप। प्रॉब्लम्स तो हम सबके पास है लेकिन सॉल्यूशन इस फिल्म के अंदर मिलेगा या नहीं उसी पर डिपेंड करेगा कि फिल्म आपको मास्टर पीस लगेगी या एकदम टाइम वेस्ट। फिल्म थोड़ी लंबी है। हर टाइप की ऑडियंस के लिए भी नहीं है। आजकल बनने वाले सिनेमा से बहुत अलग है। शायद सोचोगे आप आज के टाइम में यह सब कौन बनाता है?
है कौन देखेगा इंसान देखेगा इंसानों के लिए है इंसान मतलब जिसके पास डी फॉर दिल दिमाग दोनों है डी फॉर डोंकी के लिए नहीं है वो घास खाएगा फिल्म का ये एक डायलॉग है दो अजनबी अनजाना सफर कुछ नहीं बना तो कहानी ही बन जाएगी आप और यह फिल्म भी अजनबी हो पसंद नहीं भी आई तो कम से कम कुछ फीलिंग जरूर देके जाएगी। फिल्म का पहला सीन जो ये सारी स्टोरीज का इंट्रोडक्शन है वो म्यूजिकल स्टाइल में शुरू होता है और वहीं से आपको यकीन हो जाएगा पुराना बॉलीवुड फिर से वापस लौट आया है। इस फिल्म में कमाल की बात यह है ऑलमोस्ट 50% से ज्यादा शायद 60% म्यूजिक ही है और हर गाने के लिरिक्स कहानी को आगे बढ़ाते हैं।
फिल्म को आपके और पास ले जाते हैं। अनुराग बासू की बेस्ट चीज मुझे यह लगती है इनकी फिल्मों में चाहे 20 एक्टर्स क्यों ना हो लेकिन ये हर किसी को बहुत अच्छे से इस्तेमाल करके स्क्रीन पर बराबर का हिस्सा देते हैं। जिस तरह लूडो कोई वन मैन शो टाइप का सिनेमा नहीं थी, ठीक वैसे ही मेट्रो इन दिनों हर किसी की कहानी है और एंड में हर कहानी से आप कुछ अलग सीख सकते हो। वैसे फिल्म की स्टोरीज में इतना दम है कि इसने इम्तियाज़ अली जैसे डायरेक्टर को भी अच्छे एक्टर में बदल दिया।
छोटा सा कैमियो है सरप्राइज़ हो जाओगे। खुद बासू सर भी अंदर दिखाई देंगे। पर्सनली अगर आप मुझसे पूछोगे तो फिल्म की बेस्ट स्टोरी इन दोनों चेहरों की है। लेकिन परफॉर्मेंस वाइज पंकज त्रिपाठी से आंखें हट ही नहीं रही थी। चलता फिरता एंटरटेनमेंट है। दूसरा आदित्य रॉय कपूर को देखकर बहुत फ्रेश फील हुआ मुझे। इनको ज्यादा मूवीस करनी चाहिए। लेकिन दिल के करीब यह दोनों लोग रहेंगे। असली इमोशंस यहां मिलेंगे। पांच में से 3 स्टार्स मिलेंगे। पहला फिल्म का म्यूजिक एल्बम। दूसरा गानों के लिरिक्स जो आजकल फिल्मों के डायलॉग से ज्यादा दमदार हैं।
तीसरा बड़ी चालाकी से हर कहानी को एक दूसरे से जोड़कर पब्लिक को कंफ्यूज करना एंडिंग होगी कैसे? और एक्स्ट्रा हाफ प्रीतम पैपॉन का स्पेशल अपीयरेंस जो पुराने मेट्रो की याद दिलाता है। नेगेटिव्स में कुछ स्टोरीज थोड़ी फिल्मी लग सकती हैं। उनको खत्म करने का तरीका भी जल्दबाजी लग सकता है। और हां फिल्म थोड़ी लंबी है। म्यूजिक हटा दोगे तो 2ाई घंटे बैठना मुश्किल लगेगा। सोच क्या रहे हो? अगर आप इंसान हो तो मेट्रो का टिकट बुक कर लो। बहुत दिनों बाद दिमाग के लिए नहीं दिल को थेरेपी देने वाला सिनेमा आया है।