Dhurandhar Movie Review Story Cast More Filmywap Filmyzilla Mp4moviez Movierulz Vegamovies Ibomma

Movie NameDhurandhar
Release Date 5 December 2025
Producer Jyoti Deshpande
Cast Sara Arjun · Yamali Jamali ; Ranveer Singh · Hamza Ali Mazhari ; Sachit Murthy · Pakistani News Reporter ; Arjun Rampal · Major Iqbal ; Madhavan
Rating 5/5

किसी फिल्म का ट्रेलर कम और इंसानों को कितने अजीबोगरीब तरीकों से मौत दी जा सकती है, उसकी डिक्शनरी ज्यादा लग रही है। 3:30 मिनट का धुरंधर ट्रेलर देखकर यही बोला था और 3:30 घंटे की फिल्म में 3 सेकंड नहीं लगे उस बात को सच साबित करने के लिए। यह दोनों सेम लुक्स देखकर बेवकूफ मत बन जाना। वहां तो सिर्फ एक एनिमल आया था। यहां तो पूरा का पूरा ज़ आ गया है। चिड़ियाघर फुल ऑफ जानवर। तो, आपके मन में है सीधा सवाल। धुरंधर देखनी चाहिए कि नहीं? थोड़ा सा टाइम लगेगा। बट ऐसा जवाब मिलेगा कोई कंफ्यूजन ही नहीं बचेगा। पहले छोटा सा इंट्रो

धुरंधर आखिरी के चार लेटेस्ट डायरेक्टर का नाम और बीच के तीन हीरो के नाम से जुड़कर ऑपरेशन धुरंधर शुरू होता है। पाकिस्तान के अंदर एक दूसरा पाकिस्तान बनाने की तैयारी चल रही है। फिल्म में की कहानी चल रही है। जीते तो कराची तुम्हारा। कराची पर कब्जा किया तो पूरा पाकिस्तान जीत लिया। और इस नए पाकिस्तान का प्राइम मिनिस्टर होगा रहमान डकैत। इसको धोखा देना मतलब मौत से हाथ मिला लेना। इसका निक नेम है कसाई। और फोटो काफी है आपको वजह समझाने के लिए। सामने खड़ा है मेजर इकबाल जिसको आम भाषा में घोस्ट बोलते हैं भूत जो दिखाई नहीं

देगा सुनाई नहीं देगा लेकिन मुंबई 261 जैसे अटैक्स करता रहेगा इंसान और शैतान से भी ऊपर है जिनका साया जो लियारी पे है छाया नए पाकिस्तान का राजा है वजीर है सिपाही भी तो चाहिए एसपी चौधरी असलम पेशे से पुलिस और शौक से गैंगस्टर्स का बाप बाप से याद आया मीट न्यू फादर ऑफ पाकिस्तान किसी ने इनसे बहुत साल पहले बोला था पड़ोस में रहते हैं गुूदा भर का जोर लगा के जो उखाड़ पाओ उखाड़ लेना तो बस उखाड़ लिया हमजा नाम ही कितना इतना रंगीन है लेकिन फीका है खून के उस लाल रंग के सामने जिसमें यह पूरे लियारी मेरा मतलब न्यू पाकिस्तान को डुबोने वाले हैं। लेकिन ताश

की गड्डी तब होगी पूरी जब तक उसमें रानी का होना जरूरी लेकिन हेलो अगर यह रानी है तो राजा हमजा को बनना पड़ेगा। फिर वो रहमान डकैत का वन टू का फोर करना पड़ेगा। कैसे? यही सवाल धुरंधर को धुरंधर बनाता है जब फिल्म में खून खराबा हद पार कर जाता है और एक नॉर्मल सी कहानी में ट्विस्ट थ्रिल सस्पेंस और पॉलिटिक्स का तड़का लग जाता है। इतने करीब से पूरा क्राइम नेटवर्क एक-एक डिटेल दिखा के समझाया जैसे मानो फिल्म के डायरेक्टर खुद किसी जमाने में स्पेशल एजेंट रहे होंगे। उरी से लेकर धुरंधर के 6 सालों में आदित्य धर सच में

उस पार तो नहीं चले गए क्योंकि उनके सिनेमा ने पब्लिक को थिएटर से सीधा पाकिस्तान पहुंचा दिया। 3 घंटे 34 मिनट लंबी फिल्म जिसका 2 घंटे का फर्स्ट हाफ खुद में एक पूरी फिल्म देखने के बराबर है वो क्लाइमेक्स तक भी खत्म नहीं होगी जब अगले साल मार्च 2026 में धुरंधर 2 से मुलाकात होगी। फिल्म सबसे खास है क्योंकि ये शर्माती नहीं है। जो दिखाना है वो बिना फिल्टर दिखाती है। फिर चाहे वो पाकिस्तान से नफरत हो या 40 के हीरो के सामने 19 की हीरोइन खड़ी करके उसको भी सही ठहराना। हिंदुस्तान का सबसे बड़ा दुश्मन खुद हिंदुस्तान है। पाकिस्तान नंबर दो पे आता

है। ऐसी कंट्रोवर्शियल लाइन खुलेआम बोल देना। इसको सिर्फ सिनेमा समझ रहे हो तो बहुत भोले हो आप। फिल्म को हेट सिर्फ इसलिए नहीं मिल रहा क्योंकि एक्टर को नीचे गिराना है। असल में इसको बनाने वाले डायरेक्टर की सोच को नीचा दिखाना है। यह नया इंडिया है। घर में घुस के मारता है। उरी में बोला था धुरंधर में साबित कर दिया। जिस वजह से फिल्म को हिट मिलना शुरू हो गया। अब क्रोनोलॉजी तो समझो। क्लियर बोलूं? भूल जाओ मार्को एनिमल हिट 3 जैसी मूवीज। एक बॉलीवुड के डायरेक्टर ने इन सबको शर्मिंदा कर दिया। इंसान के शरीर के साथ वह सब कुछ कर दिया। जो करना तो दूर की

बात सेंसर बोर्ड ने थिएटर में दिखाना कैसे अलाउ कर दिया इस पर अलग से दूसरी फिल्म बन सकती है। ब्लड बाथ खून में नहाना लिटरली इतने क्रिएटिव तरीके से लोगों को मारा गया है। आप कंफ्यूज हो जाओगे पहले तारीफ करूं या आंखें बंद करूं। फिल्म में गोलियों की आवाज ही बीजीएम है। बैकग्राउंड म्यूजिक और खून ही स्पेशल इफेक्ट है। वीएफएक्स वगैरह। कहने को तो यह भी इंडिया पाकिस्तान की स्टोरी है जिस पे बहुत सारी मूवीज और यूनिवर्स खड़े हो चुके हैं। बट इस तरह पाकिस्तान पे फिल्म आज से पहले किसी ने नहीं बनाई होगी। दावे से बोल सकती हूं

Google पे सबसे ज्यादा सर्च होने वाला शख्स यारी होगा जिसका क्रेडिट धुरंधर को मिलेगा। पाकिस्तान के बारे में इतना रियल इतना असली सिनेमा जिसको दिखाने में बड़े-बड़े स्पाई यूनिवर्स हमेशा चूक जाते हैं वो इस लेवल तक रिसर्च ही नहीं कर पाते हैं। बस नाच गाने में फंस जाते हैं। उसके उल्टा इस फिल्म की खास बात है। इसमें कोई चिल्ला-चिल्ला के खुद को हीरो नहीं बोलेगा। वन मैन शो कतई नहीं होगा। तभी तो मेन एक्टर पे अक्षय खन्ना का कैरेक्टर इस तरह भारी पड़ेगा। भूल जाओ रणवीर सिंह। आप अक्षय खन्ना के लिए धुरंधर का टिकट बुक कर

लो। एक नेगेटिव कैरेक्टर पे भी दिल आ जाए। ऐसे घमंड के साथ रोल किया। बॉलीवुड से पूरा बदला एक फिल्म में निकाल लिया। अक्षय खन्ना के बाद हीरो नंबर टू है फिल्म का एक्शन और उसके पीछे बजने वाला म्यूजिक। किसी की मौत पर नाचने को मजबूर कर दे ऐसा जबरदस्त सॉन्ग प्लेसमेंट। और हां, 3 घंटे से धोखा मत खाना। फिल्म लंबी जरूर है बट बोरिंग नहीं है क्योंकि हर 20 मिनट में एक नया चैप्टर शुरू होता है। इस कहानी को नया मोड़ देता है। इंटरेस्ट बना के रखता है। हैवी एक्शन, इमोशनल ड्रामा और मासी क्लाइमेक्स में अचानक से वक्त बदलने वाला

एक धांसू सीन जैसे कोई थ्रिलर बुक पढ़ रहे हो। और इस फिल्म में एक्टर्स नहीं सिर्फ कहानी के कैरेक्टर्स नजर आएंगे। जब एक अच्छे एक्टर को लेकर एक जीनियस डायरेक्टर स्ट्रांग सब्जेक्ट पर सिनेमा बनाता है तब जो बाहर आता है उसका बेस्ट एग्जांपल है धुरंधर। अर्जुन रामपाल का इस्तेमाल थोड़ा कम है। सेकंड पार्ट में ज्यादा होगा। आर माधवन बंदूक से नहीं शब्दों से गोली चलाते हैं। संजय दत्त बहुत जरूरी हैं। इनकी एंट्री बेस्ट है। बट फिल्म को खत्म रणबीर सिंह ने किया है। हेटर्स को तमाचा मार दिया है। रियल लाइफ में जो आदमी यह सब

हरकत करता है, सोचो वो कितना कमाल का एक्टर होगा जिसकी एक्टिंग यह सब बिल्कुल नहीं दिखाता है। बस थोड़ा रोमांस का एंगल वीक लग सकता है और एंडिंग को इस तरह बीच में छोड़ना खटक सकता है। एक्शन प्लस इमोशन टू इन वन हेट प्रूफ सिनेमा है जो इस फिल्म को नीचे गिरा रहा है। बॉस कितना समोसा खाओगे। फिल्म का पब्लिक रिएक्शन देख के शर्म से डूब के मर जाओगे। पांच में से चार स्टार्स दूंगी मैं जो कुछ लोगों को हजम नहीं होने वाला। बट यकीन मानो बोल्ड फिल्म है, स्ट्रांग मैसेज है, जबरदस्त एक्टिंग है और खतरनाक एक्शन जो हॉलीवुड में होता

तो लोग कपड़े फाड़ के नाचते। माना कि हर टाइप की ऑडियंस इसे नहीं देख सकती। बट धुरंधर एक जरूरी फिल्म है। वायलेंस वार्निंग, गालियां भी ढेर सारी हैं। फैमिली के साथ नहीं जा सकते तो अकेले चले जाना क्योंकि इसका थिएटर एक्सपीरियंस मिस किया तो बाद में पड़ेगा पछताना। समोसे पर भरोसा करोगे या फिर जलेबी जैसा टेस्टी सिनेमा चखोगे? फैसला आप खुद करोगे। टेक केयर। बाय-बाय।

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