Jolly llb 3 Movie Review Story Cast More

Movie NameJolly llb 3
Release Date 19 September 2025
Cast Akshay Kumar as Advocate Jagdishwar ‘Jolly’ Mishra · Arshad Warsi as Advocate Jagdish ‘Jolly’ Tyagi · Saurabh Shukla as Judge Sunder Lal Tripathi.
Producer Ajit Andhare
Rating 4/5

काफी वक्त हो गया ना ऐसी फिल्म देखे हुए जिसमें एक्टिंग करते वक्त एक्टर खुद मजे कर रहा हो जिसको देखकर पब्लिक को उससे भी ज्यादा मजा आ रहा हो। इस हफ्ते रिलीज हुई है जॉली एलएलबी 3। जी हां, 2013 में जॉली एलएलबी वन। उसके बाद 2017 में जॉली एलएलबी 2 और अब 8 साल बाद जॉली नंबर तीन नहीं जॉली 2 वर्सेस जॉली वन। जैसा हॉलीवुड मूवीज में होता है ना मल्टीवरिवर्स जब एक फिल्म में दूसरी फिल्म के फेमस कैरेक्टर्स आ जाए। कुछ वैसा ही अपने बॉलीवुड में हुआ है जहां दोनों जॉली का आमनासामना हुआ है। आखिर ऐसा क्या रिसर्च करके ढूंढ के निकाला है जॉली सीरीज के डायरेक्टर ने जिसको तैयार करने में पूरे 8 साल लग गए और ये अक्षय कुमार की मूछे कहां गई? उसका जवाब फाइनली फिल्म में मिल गया।

वही पुरानी लड़ाई जो दिल्ली में हजारों सालों से चली आई। गद्दी एक और उस पे दावा ठोकने वाले अनेक। कौन है उसका असली हकदार? पहले खून बहता था, तलवार चलती थी, यहां वकालत होगी, दलीलें दी जाएंगी, और ओरिजिनल डुप्लीकेट जॉली की सारी लड़ाई हमेशा के लिए खत्म की जाएगी। कैंडिडेट नंबर वन जॉली त्यागी मेरठ वाले लैंड क्रूजर केस में अमीरजादों को ठिकाने लगा दिया था और गरीबों को लड़ते-लड़ते इंसाफ दिला दिया था। सलू्यूट है दोस्त। कैंडिडेट नंबर टू जॉली मिश्रा फ्रॉम कानपुर।

पिछली बार क्या पोल खोली थी दोस्त? पुलिस को ही कहानी का विलेन बना दिया। हारा हुआ केस एक झटके में जीता दिया। वेरी चालू। माने एक शेर तो दूसरा बब्बर शेर कौन किसका शिकार करेगा इसका फैसला अदालत में इस बार होकर ही रहेगा। क्योंकि एक डिफेंस तो दूसरा अटैक करेगा। किसी को तो हारना पड़ेगा। लेकिन असली हीरो इस फिल्म का इन दोनों में से कोई नहीं है। असली हीरो है वो केस जिस पे यह जॉली एक दूसरे को नोच के खाना चाहते हैं और यह केस एक बकरी के लिए लड़ा जा रहा है। कुछ समझ नहीं आया ना? चलो फिर एक सवाल का जवाब दो।

बहुत सारी कोर्ट मूवीज देखी होंगी आपने। यह वकील लोग काले कपड़े क्यों पहनते हैं? सोचो सोचो मैं बताऊं क्योंकि काले रंग में घुसकर कोई दूसरा रंग उसे ढक नहीं सकता। वो बाहर आएगा। ठीक वैसे ही होता है इंसाफ। फिर चाहे वो इंसान के लिए हो या फिर बकरी के लिए। लेकिन कहीं ऐसा तो नहीं। इस बार काले कपड़े के पीछे छुपे बैठे किसी जॉली ने खुद को काला कर दिया है और केस में सच के साथ झूठ का थोड़ा सा मिलावट कर दिया है। कोई बिक तो नहीं गया ना? अभी मेन कैरेक्टर की एंट्री होना तो बाकी है।

गुनाहों के देवता मेरा मतलब इंसाफ की मूर्ति जज सर जिनको फर्स्ट जॉली की एंडिंग में हार्ट अटैक आया था। अरे जिंदा है भाई। इस बार किसी के साथ वैलेंटाइंस डेट पे भी गए हैं। लेकिन गुलाब में मौजूद कांटे की तरह दोनों जॉली इनकी जिंदगी में फिर से चुब गए हैं। थोड़ी सी फिल्मी थोड़ी सी इलॉजिकल लेकिन बहुत ही ज्यादा इमोशनल है जॉली सीरीज की तीसरी फिल्म जिसका क्लाइमेक्स एक बार देखोगे तो हजार बार उसके बारे में सोचोगे। सुनने में यह बात अच्छी ना लगे लेकिन कंटेंट वाइज और फिल्म मेकिंग में शायद यह इस फ्रेंचाइज की सबसे वीक फिल्म है। इंटेलिजेंट सिनेमा बिल्कुल नहीं है। पार्ट वन जैसी डिटेलिंग नहीं की गई।

पार्ट टू के जैसा सस्पेंस थ्रिलर भी फील नहीं होगा। लेकिन जैसे ही फिल्म से एक बार इमोशन जुड़ा बाकी कुछ भी मैटर नहीं करेगा। सबसे बड़ा झटका तो यही है कि फिल्म ने जॉली वर्सेस जॉली को उस तरीके से नहीं दिखाया जो हम सोच के बैठे थे। जो हाइप बना था फिल्म के थर्ड पार्ट का वो वेस्ट कर दिया। जिस वजह से काफी लोग फिल्म से डिसपॉइंट हो जाएंगे। लेकिन इसके बावजूद फिल्म से लोगों को एंड तक कैसे जोड़ के रखा यही तो इसको अलग बनाता है। दिमाग से फिल्म जीरो है लेकिन दिल से एकदम हीरो।

कार चलाना आता है। चलो इतना तो पता ही होगा। स्पीड जीरो से शुरू हो के 100 तक जाती है। सीधा 100 से शुरू नहीं हो जाती। वैसे ही इस फिल्म को उठने में टाइम लगता है। फिल्म का फर्स्ट हाफ सिर्फ मिस्ट्री बनाता है। केस क्या है? क्यों लड़ा जा रहा है? ट्रेलर में जो अभी तक दिखाया वो काफी नहीं है इसकी कहानी प्रिडिक्ट करने के लिए। थिएटर में घुसते ही सरप्राइज हो जाओगे। जॉली वर्सेस जॉली की शब्दों की जंग चलती रहती है। यह कोई एक्शन फिल्म नहीं है जिसमें मारधाड़ हो जाए तो बस डायलॉग से दोनों एक दूसरे को ऊपर नीचे करते हैं जिसमें मजा आता है। फिल्म में गजराज राव ने एक लाइन बोली है। गरीबी बहुत बुरी चीज है।

उसको ग्लोरिफाई नहीं करना चाहिए। इसको सुनके काफी लोग शायद रियल लाइफ में भी उनके सपोर्ट में आ जाएंगे। यह दिखाता है विलेन सिर्फ हाथ पैर से नहीं दिमाग से कैसे लोगों को हराता है। इसीलिए यह सारी जॉली मूवीस बाहर से जितनी कॉमेडी लगे लेकिन इनके अंदर हमेशा कुछ ऐसा जरूर होता है जो रियल लाइफ में लोगों को बदलने की ताकत रखता है। अक्षय कुमार की कॉमेडी स्किल्स पूरे बॉलीवुड में नंबर वन अरशद वारसी का सर्किट कोई उड़ा नहीं सकता और गजराज राव जैसी कॉमेडी कोई कर भी सकता है क्या? तो सोचो कितनी ताकत होगी उस फिल्म की कहानी में जिसने इन तीनों को साथ लाकर एक सीरियस फिल्म में बदल दिया।

क्लाइमेक्स में हंसी तो छोड़ो आप कुछ बोलने लायक नहीं बचोगे। मैं लिख के दे रही हूं। सीमा विश्वास इन्होंने जो फिल्म की एंडिंग में किया बिना एक भी डायलॉग बोले और उसके साथ जिस तरह बकरी का इस्तेमाल किया ये है असली सिनेमा स्पीचलेस। इतना ज्यादा रिस्पेक्ट बढ़ गया मेरा अक्षय कुमार के लिए जिस तरह फिल्म का पूरा क्रेडिट उन्होंने अशद वासी को सिर्फ एक सीन से ले जाने का मौका दिया। और अरशद ने किस इमोशन के साथ क्लाइमेक्स को पब्लिक के सामने रखा।

एंड में यह दोनों आपस में कुछ नहीं बोले लेकिन फिल्म ने बहुत कुछ बोल दिया और बहुत अच्छा लगा अमृता राव को स्क्रीन पर वापस देखकर अरे फिल्म बनाने वालों प्लीज इनको और ज्यादा दिखाया करो ना क्योंकि मिलन अभी तक आधा अधूरा है तो भाई जॉली 3 को पांच में से 3 स्टार्स मिलेंगे दोनों एक्टर्स की परफॉर्मेंस कॉमेडी विद सीरियस मैसेज पावरफुल क्लाइमेक्स खतरनाक इमोशंस और एक्स्ट्रा हाफ जज साहब छोटा पैकेट बड़ा धमाका नेगेटिव्स कोर्ट वाली फिल्म के कोर्ट केस में ज्यादा दम नहीं है और हां जॉली वर्सेस जॉली का अच्छे से यूज नहीं हुआ इस पर पब्लिक बट जाएगीI

अब दो बातों पे ध्यान देना। ऐसी कोर्ट मूवीज अगर अच्छी लगती हैं तो Netflix पे फिल्म है कोर्ट स्टेट वर्सेस अ नोबडी वो जरूर देखना। फाइव स्टार वाली फिल्में हैं। दूसरा केस 2 को आपने इग्नोर किया लेकिन अक्षय कुमार को दोबारा फेल मत करना। अच्छे सिनेमा को सपोर्ट करोगे तभी तो अच्छा बनेगा। आगे आपकी मर्जी। टेक केयर। बाय-ब।

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